नैनवां ( नीरज गौड़ ) – नैनवां भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा राजकीय महाविद्यालय में इस साल के शैक्षणिक सत्र में अब तक शिक्षण कार्य शुरू नही हो पाया है। महाविद्यालय में वर्तमान में 500 से अधिक विद्यार्थियों का एडमिशन है लेकिन इतनी बड़ी संख्या में एडमिशन के बाद भी एक भी क्लास नही लगने से बच्चो के भविष्य के साथ स्पष्ठ खिलवाड़ हो रहा है। एक ओर जहां राज्य के अन्य सभी महाविद्यालयों में जुलाई के अंतिम सप्ताह से ही शिक्षण कार्य शुरू हो गए है वही नैनवां के इस राजकीय महाविद्यालय में कुछ परिचित व अपरिचित कारणों से शिक्षण कार्य शुरू नही हो सका है जो विद्यार्थियों के परिवारजनों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है। इसके कारण इस महाविद्यालय की व्यवस्थाओं पर कई सवाल उठ खड़े हुए है व इसकी छवि विपरीत बनती जा रही है। मामले की जानकारी लेने पर महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष खुशुराम सैनी ने बताया कि महाविद्यालय में शिक्षण कार्य नही चलने से नियमित विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सोभागमल मीना है लेकिन उनके अलावा स्थाई अन्य व्याख्याता नही होने से निरंतर आने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। महाविद्यालय संचालय पहले उनियारा महाविद्यालय के अंदर संचालित था तभी यहां पुस्तकालय बंद किया गया था जिसे अब तक भी बूंदी महाविद्यालय के अधीन आने पर भी नही खोला गया है। महाविद्यालय में चल रहा निर्माण कार्य भी धीमी गति से होने से यहां अव्यवस्थाओ का जमावड़ा लगा है। वही मामले पर महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सोभागमल मीना से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में सात कमरे है जिनमे अध्यन कार्य चलता था लेकिन सरकारी आदेश के आने के साथ ही व निर्माण कार्य के चलते चार कमरे ही उपयोग योग्य है। महाविद्यालय में 500 से अधिक बच्चो का पंजीयन है लेकिन महाविद्यालय में निरंतर बच्चो के नही आने से अध्यन कार्य नही करवाया जा रहा है। बच्चो के आने पर अध्यन कार्य दीपावली के बाद शुरू करना प्रस्तावित है। मीना ने बताया कि वर्तमान में एक दो बच्चे भी महाविद्यालय में शिक्षण को नही आते इस कारण शिक्षण कार्य नही चल रहा है। इससे पूर्व महाविद्यालय में परीक्षा चल रही थी जिससे भी शिक्षण कार्य नही हो सका है।
वास्तविक सत्य – इस पूरे मामले में वास्तविक सत्य ये निकल के सामने आता है कि कारण महाविद्यालय प्रबंधन से जुड़े हो या विद्यार्थियों से जुड़े हो इसका परिणाम विद्यार्थियों के भविष्य के हित में नही है। जिस मकसद के साथ नैनवां को पूरी जनता ने बड़े बड़े आंदोलन करके व नैनवां के विकास पुरुष तत्कालीन राज्य मंत्री अशोक चांदना ने इसे राजकीय दर्जा दिलवाने का कार्य किया था उसके लाभ विद्यार्थियों तक नही पहुंच पा रहे है और वे आज भी इससे वंचित है।
